Saturday, September 24, 2011

कीमती ज्योतिष

रामलाल जी ने श्यामलाल जी की उन्नति को देखकर पूँछा,-"भाई रामलाल,बिना मेहनत किये इतनी जल्दी कैसे पैसे वाले कैसे बनते जा रहे हो? रामलाल ने उत्तर दिया-"भाई श्यामलाल यह ज्योतिष का कमाल है",श्यामलाल को पता नही था कि ज्योतिष होती क्या चीज है? श्यामलाल उसी दिन से ज्योतिष की खोज मे लग गये। एक दिन शहर मे किसी काम से गये थे,बस से उतरते ही उन्होने देखा एक साइन बोर्ड लगा था,उसमे लिखा था-"जीवन की समस्याओं को ज्योतिष से सुलझायें",श्यामलाल के मन मे अपने काम की चिन्ता तो रही नही,वह सीधे लगे हुये बोर्ड वाले घर मे घुस गये,उन्होने देखा एक सज्जन आराम से मसनद लगाये बैठे है उनके सामने एक बहुत ही कीमती कालीन बिछी हुयी है,जाते ही राम राम नमस्कार हुयी,ज्योतिषी जी ने श्यामलाल से पूँछा-"भाई कहाँ से आना हुआ है और नाम क्या है?" श्यामलाल ने अपने गांव का नाम बताया,फ़िर अपना नाम बताया,ज्योतिषी जी ने उनसे ज्योतिषी जी के पास आने का उद्देश्य पूँछा,श्यामलाल ने जबाब दिया कि उनके गांव मे एक रामलाल है और वे ज्योतिष से लगातार धनी होते जा रहे है,उन्हे भी उसी ज्योतिष की जरूरत है जिससे वे भी धनी बन जायें,ज्योतिषी जी के सामने बहुत से लोग आते थे कोई अपने रोजगार की पूँछता था कोई अपनी शादी की पूँछता था कोई अपने मुकद्दमे के बारे मे कोई अपनी सन्तान की तरक्की के बारे मे कोई अपने बच्चो की शादी के बारे मे,लेकिन यह कभी किसी ने नही कहा उसे ज्योतिष की जरूरत है।

ज्योतिषी जी को चुप होता देख,श्यामलाल ने कहा,-"अगर आपके पास है तो दे दो",जो भी कीमत हो वह बता दो,अगर उसके पास ज्योतिष की कीमत चुकाने को होगा तो वह उधार सुधार करने के बाद जरूर खरीद लेगा".ज्योतिषी जी ने बहुत सोच समझ कर कहा कि- "भाई श्यामलाल ज्योतिष तो दे दूँगा,लेकिन इसके लिये पहले माथे पर टीका लगाना पडेगा,फ़िर तीन साल पढाई करनी पडेगी,उसके बाद अपने लिये एक स्थान का खोजना जरूरी होगा,जहाँ बैठ कर उस ज्योतिष को पैदा करने के बाद ज्योतिष की कीमत को कमा सको",श्यामलाल के दिमाग मे आया कि रामलाल तो कभी कहीं नही गया वह तो घर पर ही रहता है,कभी उसे टीका लगाते नही देखा,इसके बाद वह किसी को अपनी ज्योतिष के बारे मे बताता भी नही है,फ़िर उसकी ज्योतिष कैसी है। उसने ज्योतिषी जी को कहा-"आप हमे रामलाल जैसी ज्योतिष देदो,वह कभी टीका भी नही लगाता है,कभी किसी को ज्योतिष बताता भी नही है और फ़िर भी ज्योतिष से कमाकर खा रहा है",ज्योतिषी जी ने श्यामलाल की बात सुनी और उन्हे भी उत्सुकता हुयी कि आखिर ऐसी कौन सी ज्योतिष है जो बिना किसी को बताये बिना टीका लगाये बिना किसी को बुलाये काम करती है,उन्होने श्यामलाल से कहा कि वह उन्हे रामलाल के पास ले चले।

ज्योतिषी जी श्यामलाल के साथ उसके गांव के लिये चल दिये,गांव मे जाकर श्यामलाल ने रामलाल के घर जाकर ज्योतिषी जी की जान पहिचान बतायी और कहा कि यह ज्योतिषी जी उनकी ज्योतिष को जानने आये है। रामलाल ने कहा कि जरूर बतायेंगे,लेकिन ज्योतिषी जी को पहले उनके घर पर रहकर उनके कामो को करना पडेगा,उनकी नौकरी करनी पडेगी,जो भी काम वे बताये वह करना पडेगा,जब जाकर वे अपनी ज्योतिष को बता सकते है। रामलाल के ठाठ बाट देखकर ज्योतिषी जी की इच्छा और भी प्रबल हुयी और वे रामलाल के घर पर रहकर उनकी नौकरी करने के लिये तैयार हो गये। उन्हे गांव के ही काम सौंपे गये,सुबह को गाय भैंसो का गोबर उठाना,फ़िर गाय भैंसो के लिये चारा लाना,उन्हे नहलाना धुलाना,दूध निकालना और रात को उनकी निगरानी रखना। मौका मिले तो खेत पर जाना और वहां से जो भी फ़सल आदि है उसकी रखवाली करना,फ़सल को पक जाने पर काटना,खेतो मे बीज की बुवाई करना,और समय आने पर काटना मांडना यह सब काम ज्योतिषी जी को बताकर रामलाल अपने दूसरे काम मे लग गये।

ज्योतिषी जी कहाँ तो सुबह को जागकर नहा धोकर कुछ देर बनावटी मन्दिर मे बैठ कर दिखावे का राम राम किया करते थे,कोई आजाय तो उसके सामने माला को जल्दी जल्दी घुमाने लग जाते थे,किसी को शनि की किसी को राहु की किसी को केतु की दिक्कत बताकर दक्षिणा को लेना और लोगों के लाये हुये फ़ल मिठाई आदि को मजे से खाना,और कहाँ उन्हे सुबह को जागकर गन्दे गोबर को उठाना,गाय भैंसो के बीच रहकर उनकी दुर्गंध को सूंघना,दूध निकालना आदि कामो मे वे फ़ंस गये। जब कभी ज्योतिषी जी की रामलाल से मुलाकात होती तो वे जरूर पूँछ लेते कि कुछ तो ज्योतिष बता दो,तभी रामलाल समय नही है का बहाना मारकर उन्हे चुप कर देते। एक दिन वे गोबर उठा रहे थे,रामलाल गाय भैंसो के बाडे मे आये और अपने बडे लडके से कहा कि अमुक भैंस को ले जाकर बाजार मे बेंच आओ,साथ मे ज्योतिषी जी को भी भेज दिया। बाजार जाकर उनका लडका और ज्योतिषी जी भैंस को अच्छी कीमत मे बेंच आये,जो भैंस ले जाने वाला था वह ज्योतिषी जी का जानकार था,उसने भी ज्योतिषी जी से पूँछ लिया,कि वह जो भैंस ले रहा है वह उसके लिये सही है कि नहीं,ज्योतिषी जी ने उत्तर दिया कि उनके पास ज्योतिष की किताब नही है,बिना किताब के देखे वे कैसे बता सकते है कि भैंस फ़ायदा देगी या नुकसान देगी।

एक रात को उठकर रामलाल ने अपने चारो लडकों को जगाकर कहा कि जल्दी से वे गांव के कुछ लोगों को लेकर खेत पर जायें और जैसी भी फ़सल है उसे काट कर ले आये,और उसे किसी सुरक्षित स्थान पर रख ले। लडको ने वैसा ही किया और खेत की फ़सल को आनन फ़ानन मे काट कर एक बडे से छप्पर के नीचे इकट्ठा कर दिया। दूसरे दिन शाम को बडी जोर से तूफ़ान आया ओले भी पडे,गांव के सभी किसानो की फ़सले तो तबाह हो गयी लेकिन रामलाल की फ़सल सुरक्षित रखी थी। चौथे दिन जो व्यक्ति भैंस ले गया था वह आया और रामलाल के आगे बैठ कर रोने लगा कि उसकी भैंस अक्समात ही बीमार हुयी और मर गयी। रामलाल ने कुछ भी बोलना उचित नही समझा और अपने काम मे लग गये। एक दिन रामलाल रात को लाठी लेकर छत पर टहलने लगे और घर वालो को भी बता दिया कि वे जागते रहे,आधी रात के बाद कुछ चोर उनके घर मे सेंध लगाने के लिये आये,लेकिन रामलाल को छत पर टहलते देखकर चुपचाप चले गये। एक दिन रामलाल ने रसोई की बनी बनाई सब्जी की पतीली लेकर आंगन में फ़ैंक दी,जब पतीली को देखा तो उसके अन्दर मरी हुयी छिपकली थी अगर वह सब्जी कोई भी खाता तो या तो बीमार हो जाता या मर जाता। इधर ज्योतिषी जी चार महिने से उनकी गुलामी कर रहे थे,उन्हे भी आश्चर्य हो रहा था कि रामलाल पर कोई भी मुसीबत आती है और उसका हल वे मुसीबत आने के पहले ही खोज लेते है,जरूर उनके पास कोई दिव्य शक्ति है,ऐसा सोच कर ज्योतिषी जी चुप होकर अपने काम मे लग जाते।

एक दिन रामलाल ने अपनी पत्नी को बुलाकर कहा कि वह आधीरात के समय बडी लडकी को पास सुलाकर सोये और उसकी गतिविधि पर ध्यान देना शुरु करे। उस रात को रामलाल की पत्नी ने अपनी बडी लडकी को अपने पास ही सुलाया और उसकी गतिविधि पर ध्यान देना शुरु कर दिया। आधी रात के समय लडकी जगी और उसने अपने पिता के कमरे से बहुमूल्य जेवरात और रुपया आदि एक पोटली मे बांधे तथा चुपके से घर से बाहर निकलने लगी। रामलाल की पत्नी ने चुपके से जाकर उसे पकड लिया और वापस लाकर उससे पूँछा तो उसने बताया कि वह किसी लडके के साथ भाग कर जा रही थी।

एक दिन ज्योतिषी जी ने रामलाल के पैर पकड कर कहा कि वह उस विद्या को जरूर बता दे,उसके भी पत्नी बच्चे घर पर भूखों मरने की कगार पर है,वह भी किसी काम को नही कर रहा है,इतना सुनकर रामलाल ने उसे एकान्त मे ले जाकर अपनी विद्या को देना शुरु कर दिया,अन्त मे उससे कहा कि वह इस विद्या को किसी को नही बताये,ज्योतिषी बहुत खुश होकर अपने घर चला गया और अपनी ज्योतिष की दुकान बन्द करने के बाद खुद का एक छोटा सा काम करने लगा। पहले उसने छोटा काम किया और फ़िर बडा काम करने लगा इधर रामलाल आगे बढने लगा उधर वह ज्योतिषी अपने कामो को करने के बाद आगे बढने लगा। श्यामलाल ने जब रामलाल के साथ ज्योतिषी जी को भी आगे बढता देखा तो उससे नही रहा गया,उसने अपने सभी घर वालो के साथ रामलाल के दरवाजे पर डेरा लगा दिया कि जब तक वह अपनी ज्योतिष विद्या को नही बतायेगा तब तक वह उसके दरवाजे को नही छोडेगा,रामलाल चाहे कोई भी काम उससे करवाये,वह करने को तैयार है। रामलाल को उस पर भी दया आ गयी और उसे भी अपनी ज्योतिष विद्या को बता दिया,श्यामलाल भी रामलाल की तरह से आगे बढने लगा और जल्दी ही धनी होने लगा।

मालुम है वह ज्योतिष विद्या क्या थी? आपको भी उस विद्या को जानने की बहुत जल्दी होगी और आप उसे जानने के लिये बहुत ही उत्सुक होंगे? चलो वह तीन शब्द की ज्योतिष विद्या आपको भी बता देता हूँ,लेकिन शर्त वही रामलाल जैसी ही है,किसी को बताने की जरूरत नही है,अन्यथा सभी लोग धनी बनने लगेंगे,और आप हो सकता है केवल बताने बताने के चक्कर मे पीछे रह जायें।

उस ज्योतिष विद्या का नाम है-"समय की पहिचान".