Wednesday, October 19, 2011

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 मकर लगन की कुंडली में शनि राहू लगन में ही विराजमान है,दूसरे भाव में कुम्भ के सूर्य और बुध है,तीसरे भाव में मीन के शुक्र विराजमान है,पंचम में वृष के मंगल और छठे भाव में मिथुन के चन्द्रमा का स्थान है,सप्तम भाव में गुरु वक्री होकर केतु के साथ विराजमान है.

इस कुंडली के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र के मालिक मंगल है और मंगल का स्थान पंचम यानी बुद्धि के स्थान में है,वर्त्तमान में शनि का गोचर नवे भाव में चलने से जातक का निवास अपने पैदा होने वाले स्थान से उत्तर दिशा में बड़ी शिक्षा के लिए प्रयास में माना जा सकता है,शनि का लगन के शनि और राहू से तथा अपनी नवी दृष्टि से मंगल को और दसवी पूर्ण दृष्टि से छठे भाव में चन्द्रमा पर होने से जातक का मन बार बार शिक्षा से बदल रहा है,अक्सर इस युति में कहा जा सकता है की शिक्षा में ब्रेक हो जाता है या जातक को किसी प्रकार के कार्यों में लग जाने या किसी प्रकार की गलत संगती के कारण मुख्य धारा से भटकाव के लिए भी माना जाता है,शनि का गोचर पिछले समय से नवे भाव में होने से बड़ी या ऊंची शिक्षा जो कार्यों से सम्बंधित हो उसके लिए जातक का रुझान माना जा सकता है लेकिन शिक्षा का रूप किसी भी प्रकार से किराए के स्थान में रहने से या वक्री गुरु के द्वारा इस शनि अपर नजर रखने से बार बार शिक्षा के स्थान को भी बदलने का कारण जाना जाता है.

गुरु का स्थान कर्क राशि में वैसे तो उच्च का होता है लेकिन वक्री होने से वही गुरु नीच का प्रभाव देने के लिए भी माना जा सकता है उसके साथ ही केतु का साथ में होना भी नकारात्मक प्रभाव को देने की क्रिया को भी माना जा सकाता है लेकिन जातक को मारकेटिंग और इसी प्रकार के कार्य जो विदेश आदि से सम्बन्ध रखता है को भी माना जा सकता है,शुक्र के साथ गुरु और केतु की युति को देखने से तथा गुरु का जलीय राशि में होने से और केतु के साथ होने से गुरु से ग्यारहवे भाव में मंगल के होने से भी जातक के लिए नेवी या मर्चेंट नेवी वाली नौकरी को भी माना जा सकता है,लेकिन राहू और सूर्य के बीच में फंसे बुध का पापकर्तरी योग की सीमा में आने से जातक का पारिवारिक क्लेश भी आगे की पढाई के लिए दिक्कत देने वाला माना जा सकता है.

शनि आने वाले नवम्बर से दसवे भाव में गोचर करेगा और जन्म के चन्द्रमा के साथ नवम पंचम का योग भी बनाएगा,इस प्रकार से जातक का शिक्षा वाला रुझान एक दम समाप्त होकर किसी पार्ट टाइम जॉब की तरफ भी जा सकता है या किसी प्रकार से सरकारी ठेकेदारी वाली नौकरी के लिए भी मानसिकता का जाना माना जा सकता है.शनि की दशा चलने के कारण और शनि में शुक्र का अंतर होने से जातक के अन्दर शिक्षा के समय में ही धन से सम्बंधित कारणों का चस्का लगना भी माना जा सकता है जिसे जातक की रूचि वास्तविक उद्देश्य से भटक कर दूसरे कारणों में भी जाना देखा जा सकाता है इसलिए जातक को शनि के उपाय करने चाहिए लेकिन इतना भी ध्यान रखना चाहिए की वह किसी प्रकार से राहू की चीजो पर बंदिस रखे,कारण राहू का गुरु के साथ योगात्मक प्रभाव होने से और गुरु का शुक्र से युति रखने से कही कोइ चालाक व्यक्ति अपने जाल में लेकर कोइ विदेशी लालच या अधिक धन का लालच देकर जातक के जीवन को भी बरबाद कर सकाता है,जातक को सुरक्षा के लिए अपने परिवार और बुद्धिमान व्यक्तियों से संपर्क में रहकर अपने लिए क्या अच्छा है और क्या खराब का भी ध्यान रखना जरूरी है.

उपाय के लिए और शिक्षा का पूरा लाभ लेने के लिए सरस्वती की साधना और समय से भोजन लेने की भी जरूरत है अक्समात किसी भी वाहन को चलाने से या किसी वाहन या घर वाली कारक वास्तु से भी शरीर को नुकसान हो सकता है उसके लिए काले रंग का नीलम जातक को अपने दाहिने हाथ की बीच वाली उंगली में पञ्च धातु में बनवा कर धारण करना चाहिए.

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