Sunday, October 9, 2011

Guru me budh kaa antar

प्रस्तुत कुंडली हिमाचल के एक जातक की है,जातक ने जिज्ञासा जाहिर की है उसकी गुरु में बुध की दशा का प्रभाव क्या रहेगा उसकी शादी में अड़चने आ रही है,शनि का बदलाव आगे फल देगा?
जातक की लगन कर्क है स्वामी चन्द्रमा राहू के साथ में लाभ भाव में विराजमान है.पंचम भाव से गुरु का बल राहू को मिला है तथा राहू ने अपना पूरा बल गुरु तथा चन्द्रमा का लेकर तीसरे भाव में विराजमान मंगल को भी दिया है मंगल का प्रभाव छठे भाव में विराजमान सूर्य और बुध पर भी है.सप्तमेश और अष्टमेश शनि का प्रभाव भी सूर्य और बुध पर है.जातक के जीवन में राहू का प्रभाव सबसे अधिक है और जिस भाव में जिस राशि में जिस ग्रह के साथ राहू गोचर से गुजरेगा उसी भाव में राशि में ग्रह के साथ अपना प्रभाव धन और लाभ की राशि में होने से तथा चन्द्रमा और गुरु केतु का बल से पूर्ण होकर ही प्रभाव देगा.जैसे पिछले समय में यानी मई ग्यारह तक राहू ने सूर्य और बुध पर गोचर किया था,इस गोचर से पिता को शरीर में कमजोरी मिलाने का कारण बनाता है कायों में असावधानी होने से जातक को किसी न किसी प्रकार के कानूनी या विदेशी मामले में दिक्कत का सामना करना पड़ता है,जहां से देखो वही से गलत समाचार मिलते रहते है,इसी प्रकार से बुध के साथ गोचर से राहू के प्रभाव के कारण जातक को किसी न किसी प्रकार का डर पैदा हो जाता है शरीर में चरम रोग की बीमारी पैदा हो जाती है जातक को निराशा का भाव पैदा हो जाता है,मई के बाद राहू ने जन्म के गुरु और केतु के साथ गोचर करना शुरू किया है,इस गोचर के कारण जातक के साथ बालारिष्ट योग पैदा हो गया है इस योग के कारण जातक के जमा धन की बरबादी मानी जा सकती है जातक जो भी धन से सम्बंधित कार्य करता है उसके लिए भी किसी न किसी कारण के बनाने से धन के कार्यों में कनफ्यूजन भी पैदा हो जाता है और जो भी गुरु से सम्बन्धित कारण उनके अन्दर भी दिक्कत पैदा हो जाती है,जैसे गुरु पिता का भी कारक है लेकिन वृश्चिक का गुरु ताऊ का कारक बन जाता है और अगर जातक के ताऊ नहीं होते है तो पिता के लिए मृत्यु जैसा दुःख प्राप्त होता है या पिता खानदान में किसी प्रकार की मौत जैसी बात सुनाने को मिलाती है इसके साथ ही गुरु केतु के एक साथ होने से जातक को जो गूढ़ विद्याओं को देने वाला होता है या जिसके द्वारा जातक अपने जीवन में जल्दी से धन प्राप्त करने गूढ़ विषयों की जानकारी करने या इसी प्रकार के कारण वाली विद्या आदि को सीखता है उससे दूरिया या उसकी मृत्यु का कारण भी बनाता है.जो सम्बन्ध पीछे के समय में चल रहे है या जिन संबंधो के प्रति जातक के अन्दर आस्था थी की वे सम्बन्ध उसके लिए जीवन में सहायक होंगे उन संबंधो का किसी व्यक्ति के बीच में आने से टूटना भी माना जा सकता है.कुंडली में गुरु और बुध का बनाने बिगाड़ने वाला कारक तभी माना जाता है जब गुरु और बुध एक दूसरे से पहले और बारहवे भाव में होते है,बुध अगर बनाने का काम करता है तो गुरु बिगाड़ने का काम करता है,बुध अगर धन को देने वाला है तो गुरु धन का हरण करने वाला है गुरु अगर जल्दी से धन कमाने की विद्या को देता है तो बुध उसे किसी न किसी कारण से सरकारी या न्याय वाली बातो से अथवा गुप्त धन को उजागर करने के बाद बरबाद करने वाला भी माना जाता है.यह पालन और विनास करने वाला योग अक्सर कई प्रकार के कारण जीवन में पैदा करता है.यह गुरु कभी कभी बुद्धि के अन्दर या शरीर के अन्दर अथवा पिता या संबंधी के साथ अथवा पुत्र संतान के अन्दर अपनी अपंगता को भी देता है,इस गुरु के साथ जब राहू का गोचर हो या किसी प्रकार का सम्बन्ध बन रहा हो तो जातक के साथ किसी न किसी प्रकार से गूढ़ विद्याओं का होना भी माना जाता है जैसे की ज्योतिष की विद्या या तंत्र मन्त्र अथवा किसी प्रकार के मृत्यु के बाद के भेद प्रकट करने के लिए भी जाना जाता है.

2 comments:

  1. guru ,G, SAT SAT PRANAAM,AAP KI PEDICTION BHAUT ADBHUT HAI.

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  2. Guruji , aap pls meri patrika dhekhiye na pls, muje guide kijiye, fees bhi boliye pls, mera date - 23 november 1984, pune me rat ko 8:10 baje , maine bahot logo ko meri kundali dikahee hai, lekin har ek ne har bar alag alag bate boli hai, pls aap muje guide kijiye gurudev

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