Friday, October 28, 2011

राहु और ज्योतिष

ज्योतिष एक नशा है यह भी सौ प्रतिशत सत्य माना जा सकता है। बिना राहु के ज्योतिष नही की जा सकती है। अगर कुंडली मे राहु का रूप बुध के साथ सही सामजस्य बैठाये है तो ज्योतिष आराम से की जा सकती है,और राहु का सामजस्य अगर बुध के साथ सही नही है तो ज्योतिष करने में कठिनाई मानी जा सकती है। राहु का प्रयोग अगर बेलेंस करने मे ठीक है तो भी ज्योतिष का प्रकार अपने ही रूप मे होगा और बेलेंस नही किया जा सके तो वह रूप अपने दूसरे रूप मे होगा। जो लोग ज्योतिष को करना जानते है सबसे पहले वे अपने आसपास के माहौल के साथ अपने रूप को भी बदलना जरूरी समझते है,पहले उन्हे दाढी बढाने या दाढी की कटिंग अजीब तरीके से करवानी पडती है अधिकतर लोग अपनी दाढी को ही बढाते जाते है,इस दाढी के कारण अक्सर प्रश्न कर्ताओं के साथ आने वाले बच्चे भी डरने लगते है,या तो वह रोने लगते है या "दाढी वाला बाबा" कहकर दूर भागने लगते है,इसी प्रकार से महिलाओं के अन्दर एक भावना देखी जाती है,ज्योतिष करते समय तथा ज्योतिष मे अधिक समय देने के कारण उनकी शरीर की अन्य गतिया रुक जाती है उनके शरीर मे राहु का प्रवेश हो जाता है और वे अपने कम उम्र के जीवन काल मे ही मोटी होनी शुरु हो जाती है। ज्योतिषी महिलाओं के लिये एक बात और देखी जाती है कि वे मोटी किनारी की उत्तेजक रंगो से भरी हुयी साडी का चुनाव करती है,अगर वे अपने को अधिक विद्वान प्रदर्शित करना चाहती है तो अपने आसपास के माहौल को भी राहु से पूर्ण कर लेती है जैसे भगवान का चित्र किसी देवी देवता को बहुत ही आकर्षित रंग से सजा लेना,अपने बैठने वाले कमरे मे बहुत सी आकर्षक वस्तुयों को सजा लेना आदि माना जा सकता है। यही बात पुरुषों के लिये देखी जाती है वे अपने शरीर की गति को सामान्य नही रख पाने के कारण मोटे होते जाते है या उनकी तोंद बाहर की तरफ़ निकल जाती है वे अपने शरीर को एक अलग किस्म का दिखाने के लिये लम्बा कुर्ता या एक ऐसी धोती का स्तेमाल करने लगते है जो उन्हे खुद को अच्छी लगती हो भले ही वे किसी को पहिनावे मे अच्छे लगते हो या नही। एक बात जो सबसे अधिक जानी जाती है वह होती कि कौन कितना ज्योतिषी का आदर करता है,अगर आदर मे कमी होती है तो बजाय ज्योतिष के ज्योतिषी का अहम बोलने लगता है और वह जो कुछ भी मन मे आता है कहना शुरु कर देता है,कोई अपने को किसी देवता का और कोई अपने को किसी देवता का पुजारी बताकर उस देवता के नाम से अपने कार्य को पूरा करने के लिये भी मानते है।

अक्सर अपने सम्मान की बातो को ज्योतिषी बढ चढ कर बखान करने की कोशिश भी करते है,अपने सम्बन्धो को राजनीतिक लोगों से और अच्छी जान पहिचान बनाने के लिये किसी न किसी प्रकार से मीडिया के साथ भी अपने सम्बन्धो को रखने की कोशिश भी ज्योतिषियों की होती है,मीडिया भी राहु के अन्दर अपनी हैसियत को अच्छी तरह से प्रदर्शित करने की बात रखता है,जहां बारहवां शुक्र और राहु आपस में मिले छठा केतु भीतर की बातो को सम्वाद दाता के रूप मे प्रदर्शित करने की कला को राहु को सौंपना शुरु कर देता है,उसी प्रकार से जो धन से सम्बन्धित बाते होती है आडम्बर जैसी बाते होती है या किसी प्रकार की छल वाली बाते होती है मीडिया वाले ज्योतिषी के प्रति अपना प्रभाव बहुत जल्दी से देना शुरु कर देते है,अगर ज्योतिषी को बारहवे भाव का बेलेन्स बनाने की कला आती है तो वह मीडिया और जनता तथा जोखिम वाले कारण तथा अपमान करने रिस्क लेने मृत्यु सम्बन्धी कारण बताने तथा जो जनता तथा समाज मे गूढ रूप से चल रहा है उसे प्रकट करने का काम मीडिया का संवाददाता और ज्योतिषी अपने अपने अनुमान को प्रकट करने का काम भी राहु के द्वारा ही करते है।

जब ज्योतिषी किसी भी प्रश्न कर्ता के लिये अपनी भावना को प्रकट करने का कार्य करता है तो वह किसी न किसी प्रकार के साधन से अपनी बात को प्रकट करने की कोशिश करता है जैसे अगर उसे कुछ जातक के प्रति कुछ कहना है तो वह या तो अपने ज्ञान से कुंडली बनाकर अपने ज्ञान के द्वारा जातक के प्रति कथन शुरु करेगा या फ़ेस रीडिंग को देखकर अपने भाव प्रदर्शित करेगा,या कोई न कोई ज्योतिष से सम्बन्धित कारक का बल लेकर ही जातक के भाव को प्रदर्शित करेगा। कई लोग जो बिना पढे लिखे होते है वे किसी न किसी प्रकार की साधनाओ का रूप अपने साथ लेकर चलते है और अपने कथन को सही करने के लिये वे दूसरी शक्तियों पर अपना विश्वास बनाकर चलते है। कई ज्योतिषी एक प्रकार का ही कथन सभी के साथ भावानुसार करते है उस भाव का रूप अलग अलग कारको पर फ़लीभूत होने पर वह अपने शब्दो का जाल जातक के सामने प्रस्तुत करते है और समय पर बताने की कोशिश मे वे अपने कथन को सही साबित करने की बात भी करते है। कई ज्योतिषी जुये जैसा कार्य भी करते है जैसे पासे फ़ेंकने का काम कोडी को पलटने का काम आदि भी देखा जाता है उसके अन्दर उनकी भावना भी कौडियों या पासों के अनुसार होती है। जितना राहु जिसका बलवान होता है उतना ही ज्योतिषी अपनी भाषा को प्रकट करता चला जाता है।

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