Saturday, October 8, 2011

मेरी कुंडली मे गोचर से शनि का परिवर्तन कैसा रहेगा ?

यह कुंडली बंगलौर में जन्म लेने वाली एक महिला की है,वह जानना चाहती है की इस की कुंडली में शनि का आने वाला राशि परिवर्तन कैसा रहेगा.कुंडली कुम्भ लगन की है और शनि का स्थान जातिका के दूसरे स्थान में मीन राशि में है.अक्सर मीन राशि के शनि का प्रभाव जातक को जन्म स्थान से दूर ले जाने वाला होता है और जातिका को जन्म लेने वाले स्थान से उत्तर पश्चिम दिशा में अपनी स्थिति तब बनाता है जब यह कुंडली के दूसरे भाव में हो इस शनि का प्रभाव सीधे से चौथे भाव में और वहां उपस्थित ग्रहों पर कुंडली के छठे भाव पर और वहां उपस्थित ग्रहों पर अष्टम भाव में और वहां उपस्थित ग्रहों पर कुंडली के ग्यारहवे भाव पर और वहां उपस्थित ग्रहों पर पड़ता है.कर्क राशि पानी वाली राशि है वृश्चिक राशि सूखी और अँधेरे स्थान की कारक है तथा मीन राशि पहाडी क्षेत्र में वायु प्रधान जलवायु की राशि है जातिका का निवास जन्म के बाद इसी प्रकार के स्थानों में माना जा सकता है.जातिका की कुंडली में शनि का गोचर वर्त्तमान में लगन से अष्टम स्थान में हो रहा है,इस स्थान में जातिका का कार्य और हिम्मत का मालिक मंगल विराजमान है.मंगल का स्थान विदेश भाव में है और यह भाव नौकरी तथा बचत किये जाने वाले धनो के लिए भी जाना जा सकता है.मंगल के साथ शनि का गोचर करने से जो भी नौकरी या कार्य किया जाता है उसके अंदर बड़े अधिकारियों से और काम करने वाले स्थान में किसी न किसी बात पर अनबन या विचारों में असमानता मिलाती रहती है रहने वाले स्थान में भी दिक्कत का कारण बना रहता है.आने वाले समय में शनि का गोचर जन्म के केतु के साथ होना है और कार्यों तथा दूसरे नंबर के लडके के साथ शिक्षा आदि के लिए ठंडक देने के लिए माना जा सकता है.जो भी काम करने के साधन है या पति भाव के कार्य है उनके लिए भी कानूनी काम बनाने का कारण माना जा सकता है.व्यापार भाव या घर की बहिने बुआ बेटी के लिए अथवा माता के लिए भी दिक्कत का समय शुरू होना माना जा सकाता है.पिटा या पिटा के भाई के लिए भी दिक्कत का समय माना जा सकाता है.

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